नई दिल्ली, SAEDNEWS, 31 दिसंबर 2020: 'आकाश' मिसाइल भारत की पहचान है, 96 फीसदी यह स्वदेशी मिसाइल है. आकाश सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 25 किलोमीटर तक है. इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेना ने बनाया और 2015 में इसे भारतीय सेना में शामिल किया गया था. 30 दिसंबर 2020 को कैबिनेट की बैठक में आकाश मिसाइल के निर्यात को मंजूरी मिल गई.
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों/रक्षा प्रदर्शनी/एयरो इंडिया के दौरान कई देशों ने आकाश मिसाइल में अपनी रुचि दिखाई. अब सरकार की मुहर के बाद विभिन्न देशों द्वारा जारी आरएफआई/आरएफपी में भाग लेने के लिए भारतीय निर्माताओं को सुविधा मिलेगी. कुछ देशों ने आकाश के अलावा तटीय निगरानी प्रणाली, रडार और एयर प्लेटफॉर्मों में भी रुचि दिखाई है.
बता दें, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हथियार का आयातक है. लेकिन हम हथियार निर्यात के मामले में कहां ठहरते हैं? क्योंकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में रक्षा उत्पादों के निर्माण को लेकर लगातार पहल कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने 2024 तक 35000 करोड़ रुपये का सालाना रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2016-17 में भारत का रक्षा निर्यात 1521 करोड़ था, जो साल 2018-19 में ये बढ़कर 10745 करोड़ हो गया. यानी करीब 700 फीसदी का उछाल है. यानी पिछले कुछ वर्षों को सरकार को इस मोर्चे पर बड़ी कामयाबी मिली है.
पिछले दिनों एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत फिलहाल सालाना करीब 17000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात कर रहा है. केंद्र सरकार ने अगले 4 साल में रक्षा निर्यात का दोगुना से ज्यादा का लक्ष्य रखा है. यही नहीं, साल 2030 तक रक्षा उद्योग में भारत को बड़ा प्लेयर बनकर उभरने का प्लान है.
भारत फिलहाल 42 देशों को रक्षा सामग्री निर्यात कर रहा है. जिसमें कई बड़े देश भी शामिल हैं. कतर, लेबनान, इराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देशों को भारत बॉडी प्रोटेक्टिंग उपकरण निर्यात कर रहा है. सरकारी रक्षा कंपनियों को वित्तीय वर्ष 2023 तक अपने कुल राजस्व का 25 प्रतिशत हिस्सा, निर्यात के माध्यम से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
सरकार ने अगस्त-2020 में आत्मनिर्भर भारत के तहत 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी, अब भारत में ही इनके निर्माण किए जाएंगे. इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि सेनाओं की जरूरतों पर असर न पड़े. हालांकि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार को अभी कई कदम उठाने होंगे. अभी सरकार ने रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए 460 से ज्यादा लाइसेंस जारी किए हैं. (स्रोत: आजतक)